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Creative Expressions from the Heart

Creative Expressions from the Heart

Hi, my name is Adhista Devendra Nayak 

class 11 Science B, Mushtifund Higher Secondary School, Cujira

 Poetry writing is my childhood hobby. It gives me immense joy and relieves me of my stress. I love writing poems whenever I am free or bored of my daily chores.

Here are a few of my poems

Mental Health

I saw a face in the mirror.

Not the same as always. 

The place where I used to see a dazzling smile, 

Has changed into rivulets of pain.

Surrounded by people whose mindset is narrow.

I got a reason for my sorrow.

I don’t know why, but I want to be alone.

Feels like I’m a crumpled paper thrown.

Don’t feel well, my mind is upset. 

Give me a break, I need some rest. 

Surroundings are fine, everywhere there is joy. 

Why society plays with them, are my feelings a toy?

Mental health is not a joke and can’t be ignored. 

On the head it’s a heavy load. 

Be nice to everyone, you don’t know who is in pain. 

There are many  solutions other than cutting your vein.

 

अजीब बीमारी

हुई मुझे एक अजीब बीमारी न जानलेवा न है हानिकारी |

छुपके से आती है जैसे कोई राज,  आज तक मीला नही लक्षण इसका इलाज  से कोई होता नही नराज ||

 

बीन बात के इसमे लोग फसते है, पीडीत अब इसके कारण हसते है |

न है बात डरने की, न है बात घबराने की, क्यों की है यह बीमारी मुस्कुराने की ||

 

कल रस्ते पर एक औरत मुझे देखकर मुस्कुराई,  तुरंत मुस्कान मेरे चेहरे पर आई |

वह मुस्कान लिए मैं आगे बढ़ी, जहाँ मीली मुझे मेरी दोस्त खड़ी |

मुझे खुश देख वो खुश हुई| लगने लगा जैसे पुष्प हो खीले ऐसी थी खुशी जैसे कोई बीछडे हो मीले ||

 

तो अब आओ सब हो जाते हे बीमार, तोड़ दो यह दुख की दीवार ।

कोई जीत मे मुस्काओं कोई हार में, कोई दुश्मनी पर तो कोई प्यार में  ||

 

छोटे पलो में खोजो खुशी

 फिर दुनिया दिखेग सुखी ||

 

कलियुग

समय का चक्र है यू फीरा

मानव के बीच का रीश्ता है गीरा । 

चलते-चलते ऐसा काल है आया

अपनो ने अपने के लिए जाल बिछाया ॥ 

न है यहाँ इनसानीयत की महीमा 

न है संस्कारों  की गरीमा । 

उजाले में अंधेरा है छाया 

जाने कहाँ  से यह कलयुग आया ||

यहा, जो अमीर है वो उच्च है 

जो गरीब है वह तुच्छ  है 

जाने यह कलियुग  है कैसा

अब तो भगवान है पैसा ||

न कोई किसी का साथी है, न कोई है प्राणनाथ 

समय ऐसा है आया, माता पिता है अब अनाथ || 

रास्ते पर चलने से डरती हूँ, 

धोके का साँप न काट ले 

जो पहले सबकी धरती थी, अब लोग उसे न बाट ले ||

By : Adhista Devendra Nayak

 

 

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